टैरिफ क्या है? | अमेरिकी टैरिफ और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव
टैरिफ क्या है? टैरिफ सरकार द्वारा आयातित वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर या शुल्क (Tax or Duty) होता है।अमेरिकी सरकार मुख्यतः निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए टैरिफ लागू करती है: घरेलू उद्योगों को सस्ते विदेशी उत्पादों से बचाना (व्यापार संरक्षणवाद) सरकार के लिए राजस्व बढ़ाना व्यापार वार्ताओं में लाभ प्राप्त करना टैरिफ का उदाहरण मान लीजिए अमेरिका भारत से आयातित स्टील पर 20% टैरिफ लगाता है। टैरिफ के बिना: भारतीय स्टील की कीमत $100 प्रति टन → अमेरिकी खरीदार $100 का भुगतान करता है। 20% टैरिफ के साथ: आयातक को $100 + $20 (टैरिफ) = $120 देना होगा। 👉 इसका मतलब है कि भारतीय स्टील अमेरिकी स्टील की तुलना में महंगा हो जाएगा। भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव 1. निर्यात में कमी भारतीय उत्पाद (जैसे स्टील, एल्युमीनियम, कपड़ा, आईटी हार्डवेयर, आदि) अमेरिकी बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं।इससे अमेरिका को होने वाला भारतीय निर्यात घट सकता है। 2. उद्योगों पर प्रभाव अमेरिकी बाजार पर निर्भर सेक्टर (स्टील, कपड़ा, फार्मा, आईटी सेवाएँ) में मांग घट सकती है।छोटे और मध्यम निर्यातकों को मुनाफ़े में कमी का सामना करना पड़ सकता है। 3. व्यापार संतुलन के मुद्दे अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष कम हो सकता है, जिससे भारत का व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है। 4. संभावित प्रतिशोध भारत भी जवाब में अमेरिकी वस्तुओं (जैसे बादाम, सेब, अखरोट आदि) पर टैरिफ लगाता है।इससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव बढ़ सकता है। 5. विविधीकरण को बढ़ावा भारतीय निर्यातक वैकल्पिक बाज़ार (यूरोपीय संघ, मध्य पूर्व, ASEAN देश) तलाश सकते हैं।यह भारत की दीर्घकालिक व्यापार रणनीति को मजबूत करता है। 6. उपभोक्ता प्रभाव (भारत में अप्रत्यक्ष) अगर कंपनियों को मुनाफा कम होता है, तो वे नौकरियों में कटौती या वेतन घटा सकती हैं।समय के साथ यह भारत की आर्थिक विकास दर को प्रभावित करता है। ✅ सारांश टैरिफ = आयात कर (Import Tax) अमेरिकी टैरिफ से भारतीय वस्तुएँ महंगी हो जाती हैं → निर्यात प्रतिस्पर्धा घटती है। इससे उद्योग, नौकरियाँ और व्यापार संतुलन प्रभावित होते हैं। लेकिन यह भारत को नए बाजार तलाशने और उत्पाद गुणवत्ता बढ़ाने की प्रेरणा भी देता है।
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